लॉकडाउन के दौरान लिखी कुछ कविताएं
हर रोज़ कमाल होता है
(कुछ तुक्तक)
चंचल चौहान
1
लॉकडाउन में तुम्हें प्यारे, क्यों मलाल होता है
कौन कहता है कि ग़रीबों का बुरा हाल होता है,
सुना करो ग़ौर से वज़ीरे आज़म की तक़रीर
हर फ़रमान से ग़रीब ही मालामाल होता है
2
पहले आये तो सबको पंद्रह लाख दिया
नोटबंदी का कालाधन तुम्हारे हवाले किया
कल ही बीस लाख करोड़ तुम्हारे खाते में
बदले में, अहसानफ़रामोशो, क्या ले लिया ?
3
लाखों सड़क पर, रोज़ क्या बवाल होता है ?
दिया घर, दिया कैश, फिर क्यों सवाल होता है
ये हिंदू हैं या मुस्लिम, टीवी एंकरों से पूछो
जिनके सिर औंधा धरा मोती का थाल होता है
4
इन हालात में क्यों कहते जीना मुहाल होता है
जानो, हर मुंह पर क्यों मास्क या रुमाल होता है
बढ़ती सड़ांध क्या लोकतंत्र की देह पर घाव
करोना वायरस का इस तरह इस्तेमाल होता है
5
घर में बंद रहो, चावल चना आनेवाला
मत देखो, बोलने वाले का मुंह काला
जुमले सुनने की आदत डाल लो तो बेहतर
सामने कवि गंग के, हाथी मदमस्त मतवाला
6
तालाबंदी से अब हर ग़रीब आत्मनिर्भर
न रेल, न बस की चाह, करे पैदल ही सफ़र
आत्मनिर्भर भारत का यह प्रवासी मज़दूर
बोरे में लादे आवास योजना में मिला जो घर
7
जुमलेबाज़ों का हर जुमला इंद्रजाल होता है
जुमले गढ़ने का काम साल-दर-साल होता है
जब तक एक जुमले से भरें पेट, दूसरा हाज़िर,
यों देश में चंचल हर रोज़ कमाल होता है
चिठ्ठी आयी है
(PM’s letter to fellow Indian on 30-5-2020)
चंचल चौहान
चिठ्ठी आयी है चिठ्ठी आयी है
ठीक साल भर बाद,
हम हो लिये खूब बरबाद
अब जनता की याद सतायी है। चिठ्ठी आयी है ---
एक एक जुमला याद किया है
यह भी दिया फिर वह भी दिया है
चिठ्ठी में एक संकल्प लिया है
सभी दुखों का इलाज शर्तिया है
आत्मनिर्भरता की बढ़िया राह सुझायी है, चिठ्ठी आयी है---
अब गुजारिश की है बनो आत्मनिर्भर
न रेल, या बस के भरोसे, पैदल करो सफ़र
खुद पैदा करो अन्न उसी से करो बसर
गांव में ही रहो, भूल कर न आओ शहर
हमरे पीएम ने यह तरकीब बतायी है, चिठ्ठी आयी है---
अब सरकार भी आत्मनिर्भर हो जायेगी
न लेगी टैक्स, न क़र्ज़, न फ़ैक्टरी चलायेगी
विदेशी क़र्ज़ लदा है उसे लौटायेगी
फिर संसदभवन में खेती करायेगी
सांसद प्रवासी श्रमिक? क्या जुगत भिड़ायी है, चिठ्ठी आयी है---
अब मिलमालिक खुद मशीनें चलायेंगे
बना हुआ माल वे खुद ही खायेंगे
फिर कच्चा माल भी खुद उपजायेंगे
न लेंगे किसान से न खान से खुदवायेंगे
आत्मनिर्भर भारत की क्या कल्पना सजायी है, चिठ्ठी आयी है---
चिठ्ठी पढ़ पागल वैज्ञानिक हंसता है
सृष्टि में कुछ भी स्वनिर्भर हो सकता है?
भारत का हाल पहले से ख़स्ता है,
जुमला आत्मनिर्भरता, सत्य परनिर्भरता है
चंचल जनता को, खूब पट्टी पढ़ायी है, चिठ्ठी आयी है---
मामला सुशांत राजपूत का
चंचल चौहान
शांत नहीं हो रहा मामला सुशांत राजपूत का
सारा फ़ोर्स जुटा न सुराग मिला कपास या सूत का
चचा बीजेपी में, चाहता बाप भी जीत ले चुनाव,
मीडिया दिखाये बस क़त्ल बिहार के सपूत का
बाप को सता रहा लोभ, बेटे के धन अकूत का
सीबीआइ या ईडी से न हुआ जुगाड़ सबूत का
कहा, तो फिर, 'heroin' तलाशो, रिया के यहां'
अफ़सर न समझा सही अर्थ नेता की करतूत का
उसने भेजा एनसीबी, यों हीरोइनें बुलायी गयीं
वे जहां भी थीं, वहीं से जल्दी में लायी गयीं
वे बतायें कि सुशांत उन पर कब मरा, कैसे मरा
वे उसके झील वाले बंगले पर क्यों पायी गयीं
टीवी चैनलों पर बस यही सीरियल चल रहा
पूरे देश में किसान जवान मज़दूर उबल रहा
रघुवीर सहाय ने ठीक ही कहा था, इन एंकरों पर
ये 'हैं जन के दुश्मन', बुद्धूबॉक्स जन को छल रहा
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heroin एक नशीली ड्रग
heroine नायिका
सर,अपना जन्मदिन भी दें।-कला कौशल,8051944495
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